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मध्य प्रदेश के खटिया गांव के रहने वाले घनश्याम पर 2013 में बाघ ने हमला किया था लेकिन वो बच गए. उनकी आपबीती और सरकार से क्या है उनकी मांग, सुनिए Earth शास्त्र के इस एपिसोड में अमन गुप्ता के साथ
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अमुर फाल्कन बाज की एक दुर्लभ प्रजाति है. ये हर साल रूस के साइबेरिया से भारत आते हैं. यहां के नॉर्थ ईस्ट वाले इलाक़े में कुछ हफ्ते रुककर आगे बढ़ जाते हैं लेकिन कभी इस बीच इनका यहां खूब शिकार होता था लेकिन अब ये पूरी तरह समाप्त हो चुका है. कैसे आया ये बदलाव सुनिए इस प्रवासी पक्षी के संरक्षण की ड्राइव को लीड करने वाले वाइल्डलाइफ़ इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. सुरेश कुमार से, बात कर रहे हैं अमन गुप्ता.
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समय से पहले सर्दी, उम्मीद से ज्यादा गर्मी, बारिश या मॉनसून में देरी ये सब बहुत होने लगा है. मौसम विभाग के अनुमान भी अब पहले की अपेक्षा कम प्रमाणिक सिद्ध पाते हैं, तो मौसम चक्र में इतनी गड़बड़ी क्यों हो रही है? कौन से फ़ैक्टर्स मौसम में बदलाव के लिए ज़िम्मेदार हैं? किस आधार पर मौसम विभाग अनुमान देता है और कैसे कोई व्यक्ति अपने आस पास के क्षेत्र में मौसम को मॉनिटर कर सकता है? सुनिए 'Earth शास्त्र' में अमन गुप्ता के साथ भवताल संस्था के फ़ाउंडर अभिजीत घोरपड़े के साथ.
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हमारी नदियां मर रही हैं. नदियों पर न केवल प्रदूषण बल्कि इसके रास्ते में बदलाव, खत्म होती बायोडायवर्सिटी, बालू खनन और कैचमेंट एरिया के सिकुड़ने का भी असर पड़ा है. हज़ारों करोड़ रुपये ख़र्च करके भी गंगा,यमुना, ब्रह्मपुत्र जैसी बड़ी नदियां साफ़ नहीं हो पा रही हैं, तो इन्हें साफ़ किया कैसे जाए? विकसित देशों की तरह हमारे पास उतने संसाधन नहीं है तो क्या ये संभव हो पाएगा? ऐसे ही सवालों और नदियों की समस्याओं पर 'Earth शास्त्र' के इस एपिसोड में अमन गुप्ता बात कर रहे हैं नीर फ़ाउंडेशन के फ़ाउंडर 'नदीपुत्र' रमन त्यागी से.
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साल 2020-21 के दौरान सरकारी आंकड़ों के अनुसार 31 लाख पेड़ देश भर में काटे गए, वो भी सरकारों के निर्देश पर जबकि एक एक पेड़ आज के समय में कितना बेशक़ीमती है ये शायद बताना ज़रूरी नहीं है. लेकिन तेज़ विकास भी वक़्त की मांग है, तो दोनों चीज़ें साथ कैसे हों? क्यों सरकार कटवा देती है पेड़? इसके बदले में हमें क्या करने की ज़रूरत है ताकि संतुलन बना रहे? सुनिए 'Earth शास्त्र' के इस एपिसोड में अमन गुप्ता के साथ The Energy and Resources Institute (TERI), नई दिल्ली में सीनियर रिसर्च फ़ेलो और Centre for Forest Mgmt. & Governance में Area Convener डॉ. योगेश गोखले के साथ बातचीत.
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संयुक्त राष्ट्र की यूनिट है IPCC यानि इंटरगवर्नमेंटल पैनल फॉर क्लाइमेट चेंज की छठवीं रिपोर्ट के तीनों भाग आ चुके हैं. आईपीसीसी की रिपोर्ट्स का उद्देश्य दुनिया के नीति निर्माताओं को जलवायु परिवर्तन, इसके प्रभाव और खतरे से संबंधित वैज्ञानिक आकलन को समय-समय पर उपलब्ध कराना होता है. तो इस बार इस रिपोर्ट में किस तरह की पर्यावरणीय चुनौतियों का ज़िक्र है और क्या उनसे निपटने के तरीक़े सुझाए गए हैं? भारत के प्रयासों के संबंध में इस रिपोर्ट में क्या कहा गया है? और विकसित देशों की विकासशील देशों के प्रति क्या ज़िम्मेदारी तय की गई है? सुनिए 'Earth शास्त्र' के इस एपिसोड में अमन गुप्ता के साथ साइंस और एन्वायरमेंट कवर करने वाले जर्नलिस्ट शिबू त्रिपाठी के साथ बातचीत.
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फ़रवरी से जून के महीने के बीच अक्सर जंगलों में आग लगने की घटनाएं होने लगती हैं. तो जंगलों में आग लगती क्यों हैं? कैसे जंगलों की आग पर काबू पाया जाए? क्या जंगलों की आग के नुकसान ही हैं या इसके कुछ फ़ायदे भी हैं? क्यों कई बार जंगलों में खुद से आग लगानी पड़ जाती है? और क्या है जंगलों में लगी आग को आग लगाकर ही बुझाने का तरीक़ा. इन्हीं सब सवालों के जवाब मिलेंगे 'Earth शास्त्र' के इस एपिसोड में. सुनिए अमन गुप्ता के साथ मध्य प्रदेश में चीफ़ वाइल्डलाइफ़ वॉर्डन रहे रिटायर्ड IFS एच.एस. पाब्ला की बातचीत.
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17 दिसंबर को संसद के शीतकालीन सत्र में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में संशोधन के लिए बिल पेश किया गया. इस बिल की बातों को लेकर पर्यावरणविदों की चिंता है कि ये जंगली जानवरों के अवैध व्यापार को बढ़ावा देगा और इसके प्रावधान उनकी मौत का कारण बनेंगे. तो इस एक्ट के इन्हीं संशोधनों पर Earth शास्त्र के इस एपिसोड में अमन गुप्ता बात कर रहे हैं वाइल्डलाइफ़ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 बनाए जाते वक्त कृषि मंत्रालय में अवर सचिव रहे डॉ. एम.के. रंजीतसिंह और पूर्व आइएफएस अधिकारी और मध्य प्रदेश के पूर्व चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन एच.एस. पाब्ला के साथ.
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सुरक्षा में खोजी कुत्ते बहुत अहम भूमिका निभा रहे हैं. बम, नारकोटिक्स, एक्सप्लोसिव ढूंढने से लेकर जंगलों में शिकारियों तक पहुंचने में ये कुत्ते बहुत मददगार साबित हुए हैं. एक ऐसा ही कुत्ता है स्टॉर्म जिसने कान्हा टाइगर रिज़र्व में वन्य अपराध को कम करने में बड़ी भूमिका निभाई है.Earth शास्त्र के इस एपिसोड में सुनिए उसके हैंडलर भागीरथ सिंह काकोड़िया से अमन गुप्ता की ख़ास बातचीत.
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वेटलैंड यानी नमभूमि या आर्द्रभूमि. जमीन का वह हिस्सा जहां पानी और भूमि आपस में मिलते हों, जहां साल भर आंशिक या पूरी तरह से पानी भरा रहता है. पर ये वेटलैंड्स तेज़ी घट रहे हैं. तो वेटलैंड्स को बचाए जाने के लिए हमें क्या करना चाहिए? और ये हमारी जीवन के लिए कितने ज़रूरी हैं? 'Earth शास्त्र' के इस एपिसोड में अमन गुप्ता इन्हीं वेटलैंड्स को लेकर बात कर रहें बायोलॉजिस्ट डॉ. फ़ैयाज़ अहमद खुदसर के साथ.
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पर्यावरण संकट के इस दौर में खेती के तरीक़ों में भी बदलाव करने की ज़रूरत पड़ने लगी है. इसमें एक बहुत ही प्रचलित प्रणाली है एग्रोफॉरेस्ट्री.
फसलों के साथ-साथ पेड़ों और झाडियों को लगाकर फ़सल और पेड़ दोनों से इसमें फ़ायदा कमाया जाएगा. तो कैसे होती है एग्रोफ़ॉरेस्ट्री? क्या इसकी चुनौतियां हैं और इससे किसानों की कितनी आय बढ़ जाएगी. इन्हीं सवालों के साथ 'Earth शास्त्र' में अमन गुप्ता बात कर रहे हैं एग्रोफॉरेस्ट्री और सस्टेनेबल फ़ार्मिंग की दिशा में काम करने वाली NGO से जुड़े अंकित झा के साथ. -
एनर्जी या पॉवर के लिए बैट्रीज़ पर हमारी निर्भरता आए दिन बढ़ती ही जा रही है. फ़ोन, ई-व्हीकल्स से लेकर बहुत से उपकरण आज बैट्रीज़ से चल रहे हैं. हम सोच रहे हैं कि बैट्रीज़ के ज़रिए हम पर्यावरण बचा लेंगे लेकिन कहीं वो उल्टे पर्यावरण के लिए घातक तो साबित नहीं होंगी? बैट्रीज़ की रिसाइक्लिंग प्रोसेस क्या है? क्याभविष्य में बैट्रीज़ बनाते रहने के लिए पर्याप्त कच्चा माल है? ऐसे कई सवालों के साथ 'Earth शास्त्र' के इस एपिसोड में अमन गुप्ता बात कर रहे हैं Toxic Links के एसोसिएट डायरेक्टर सतीश सिन्हा से.
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इंसान सबके लिए फ़ैसले ले रहा है. वो अपने से पहले मौजूद वन्यजीवों के लिए नियम तय कर रहा है. उनके रहवास में खुद के लिए जगह खोज रहा है और इससे शुरू हो रहा है टकराव. अब बढ़ती इंसानी आबादी के बीच वन्यजीवों के अस्तित्व पर संकट है. 'Earth शास्त्र' के इस एपिसोड में मानव और वन्यजीव संघर्ष को लेकर अमन गुप्ता बात कर रहे हैं वाइल्ड लाइफ़ इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया से जुड़े वैज्ञानिक डॉ. एस. सत्यकुमार के साथ.
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ऑलिव रिडले, कछुओं की सबसे छोटी प्रजातियों में से एक है. ये कछुए लाखों की संख्या में हर साल ओडिशा के समुद्र तट पर अंडे देने के लिए क़रीब 9 हज़ार किलोमीटर का सफ़र तय करके आते हैं. इनके आने पर सरकारें और वाइल्ड लाइफ़ एजेंसियां इन्हें बचाने की ख़ास तैयारियों में लग जाती हैं. 'Earth शास्त्र' के इस एपिसोड में इन्ही कछुओं के बारे में अमन गुप्ता बात कर रहे हैं वाइल्डलाइफ़ इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया में साइंटिस्ट डॉ. सुरेश कुमार के साथ.
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स्नो लेपर्ड (Snow Leopard) यानि हिम तेंदुआ बिग कैट फ़ैमिली का एक सदस्य है. ये बर्फ़ीले पहाड़ों पर रहता है. आमतौर पर हिमालयन रेंज इसका ठिकाना है. ये प्रजाति इतनी दुर्लभ है कि सिर्फ़ इसी की खोज में लगे रहने वाले साइंटिस्ट्स और रिसर्चर्स का भी इससे इक्का-दुक्का बार ही सामना हुआ है. इसे IUCN की रेड लिस्ट में रखा गया है. तो इस बार 'Earth शास्त्र' में अमन गुप्ता ने स्नो लेपर्ड ट्रस्ट से जुड़े कौस्तुभ शर्मा से बात की है.