Episoder
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कूछ सपनो के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है...
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Rashmirathi 1
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Mangler du episoder?
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Rashmirathi
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Bolo kaha tak tik sakoge? Yadi ram sa sangharsh ho...
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Aaj tu bikhara hai
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कुछ इस तरह मशगूल
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जब जब दर्द का बादल छाया
जब गम का साया लहराया
जब आंसू पलकों तक आया
जब ये तनहा दिल घबराया
हमने दिल को ये समझाया
दिल आखिर तू क्यों रोता है
दुनिया में यूँही होता है
यह जो गहरे सन्नाटे हैं
वक़्त ने सबको ही बांटे हैं
थोड़ा गम है सबका क़िस्सा
थोड़ी धुप है सबका हिस्सा
आँख तेरी बेकार ही नम्म है
हर पल एक नया मौसम है
क्यूँ तू ऐसे पल खोता है
दिल आखिर तू क्यूँ रोता है -
दिलो में तुम अपनी बेताबियाँ लेके चल रहे हो तो जिंदा हो तुम..
नजर में ख्वाबों की बिजलियाँ लेके चल रहे हो तो जिंदा हो तुम..
हवा के झोकों के जैसे आज़ाद रहना सीखो
तुम एक दरिया के जैसे लहरों में बहना सीखो..
हर एक लम्हें से तुम मिलो खोले अपनी बाहें
हर एक पल एक नया समां देखे ये निगाहें..
जो अपनी आखों में हैरानियाँ लेके चल रहे हो तो जिंदा हो तुम..
दिलो में तुम अपनी बेताबियाँ लेके चल रहे हो तो जिंदा हो तुम..
Written by Javed Akhatarji -
कुछ छोटे सपनो के बदले, नींद का सौदा करने,
निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे !
वही प्यास के अनगढ़ मोती,
वही धूप की सुर्ख कहानी,
वही आंख में घुटकर मरती,
आंसू की खुद्दार जवानी,
हर मोहरे की मूक विवशता,चौसर के खाने क्या जाने
हार जीत तय करती है वे, आज कौन से घर ठहरेंगे
निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे !
कुछ पलकों में बंद चांदनी,
कुछ होठों में कैद तराने,
मंजिल के गुमनाम भरोसे,
सपनो के लाचार बहाने,
जिनकी जिद के आगे सूरज, मोरपंख से छाया मांगे, उन के भी दुर्दम्य इरादे, वीणा के स्वर पर ठहरेंगे निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे Beautiful poem written by Kumar Vishwasji -
Beautiful Poem written by Shri Harivansh Rai Bachchan... बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर...