Episoder
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कुछ ख्वाहिशों के दौर थे
वो कुछ और थे
हम कुछ और थे
जाने अनजाने में जो हो गयी एक गलती
वो वक़्त कुछ ऐसा था
जिस वक़्त हम कमजोर थे
Check out my latest episode!
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Life is full of surprises, isn't it? Sometimes things go out way, and sometimes they don't. But no matter what happens, life goes on. Listen to all about exploring the ups and downs of the life in this episode with me.
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Mangler du episoder?
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Life is a fascinating journey, isn't it? We embark on this adventure from the moment we take our first breath, and it takes us on a rollercoaster ride of experiences, challenges, and growth. It's a journey filled with twists and turns, moments of joy and sorrow, and countless opportunities for self-discovery. So, grab a cup of coffee, and let's dive into the marvels of life's incredible journey.
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Dear future partner
I apologize. I apologize that when we meet finally and embark on our journey to a new destination, I won’t be able to walk with the same life that I have walked already. I apologize that when you get hurt or feel lonely and want me to hold you; I won’t be able to do justice to your expectations. I apologize that on our first night, I won’t be able to hold you with the same feeling that I had done somewhere in my life already. I apologize that when you sit by the window and look at the moon, I won’t be able to write you poetry with the same love I have written so far.
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मुझे कहीं दूर जाना है. कितनी दूर और कहाँ इसकी खुद मुझे खबर नहीं है.
हाँ बस इतना है कि अब थक सा गया हूँ खुद को साबित करते करते. अब तो बस एक ऐसी जगह की तलाश है जहाँ पर
मैं खुद अपने तरीके से रह पाऊं क्युकीं अब आदत नहीं रही इस दुनिया के तौर तरीकों से जीने की.
अब तो बस एक ऐसे सफर पर हूँ जिसकी ना तो मंजिल का कोई ठिकाना है और ना ही इस बात का की ये सफर कब तक चलेगा.
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जिंदगी हर किसी के लिए उतनी आसान नहीं होती जितना हमे दिखती है. स्क्रीन पर क्या है और बैकग्राउंड की हकीकत, दोनों ही एक दूसरे के विपरीत होते हैं. हाँ सिर्ख इतना है कि दुनिया बैकग्राउंड में चल रही स्टोरी पर कम ही फेस करती हैं ना के बराबर...
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परिन्दों का आसमान ख़ूबसूरत होता है। ये इंसानों की तरह कौम या मजहब में नहीं बनता है। ये असमान खुला है हर परिंदे के लिए। यहां कोई रंजिश नहीं है कोई फरेब नहीं है।
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अलार्म छोड़िये जनाब! चिड़िये के चहकने से होती थी अपने दिन की शुरुवात। सुबह उठ कर फोन में माथापच्ची करने की बजाय छत पर जाके चिड़िया को दाना डालना होता था और फिर होता था दिन शुरू...
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आज ख़ामोशी से मेरी मुलाक़ात हुई है
एक आरसे बाद फिर से बात हुई है
कभी डूबा था जो मैं इसके आगोश में
आज फिर से कुछ वैसी ही रात हुई है
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जिंदगी कभी खूबसूरत सी लगती है
जिंदगी कभी दावत सी लगती है
कभी धुप छाँव सी है जिंदगी
तो जिंदगी कभी इबादत सी लगती है
जी हाँ, जिंदगी जैसी भी है खूबसूरत ही है।
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शायद कभी तो मुलाक़ात होगी। आज नहीं तो फिर कभी। यहां नहीं तो कहीं और। हो सकता है हम पहचान ना पाएं एक दूसरे को। हो सकता है जिंदगी में इतना उलझ जाएँ कि जिस चेहरे को देख कर दिन कि शुरुवात होती थी वो चेहरा ही भूल जाएँ...
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जिंदगी ने न जाने किस मोड़ ला खड़ा कर दिया है। भीड़ भी है लोगों की लेकिन रूह ने लोगों को पहचानने से इंकार कर दिया। कैसे दिन है ये आज? सब एक दूसरे से अलग भाग रहे हैं। जैसे कोई गुनाह कर दिया हो।
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कभी-कभी, आप बस अपने जीवन के कुछ पलों को भूलने की कोशिश करते हैं, लेकिन ऐसा करना आपके लिए वास्तव में कठिन होता है क्योंकि उन पलों से यादें जुड़ी होती हैं। और जब आप दिन भर व्यस्त रहते हैं और रात में अपने बिस्तर पर वापस आते हैं, तो वो यादें आपके सिर तक तकिये के नीचे पहुंच जाती हैं और आपके सपनों के साथ से खेलती हैं..
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घर की याद किसे नहीं आती? खास तौर से वो लोग जो घर से बाहर किसी नई जगह, किसी नए शहर में रह रहे हैं... वो घर जिसमे बचपन बिताया हो। जिस घर की हर दीवार, हर ईंट से जान पहचान हो, उस घर को छोड़ के चले जाना किस पसंद है?लेकिन जाना पाता है...
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जिंदगी में एक दौर ऐसा भी आता है जब आप अपने आप से ही मायूस हो जाते हैं। आप महसूस करते हैं कि जो शख्स आपको बीच राह छोड़ गया है, वो अपने साथ में आपका एक हिस्सा भी ले गया है। एक ऐसा हिस्सा जो आपको एक खालीपन की याद दिलाता रहेगा, एक ऐसा खालीपन जिसको भरते भरते शायद वक्त की डोर हाथ से छूट जाए।
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अलमारी में रखा पुराना एल्बम निकला तो देखा उस पर वक़्त की धूल जम चुकी है। उसे साफ़ करने पर उस पर लिखी तारीख दिखाई दी। क्या आप भी यादों के एल्बम को संभाल कर रखते हैं?
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आप कब तक किसी की यादों को दिल में दबाये रख सकते हैं? कभी न कभी एक वक़्त ऐसा आएगा जब उन यादों को दिल और दिमाग से निकाल देना पड़ेगा और एक नयी शुरुआत करनी पड़ेगी, लेकिन ये नयी शुरुवात होगी कहाँ से और क्या इस नयी शुरुवात को कर पाना इतना आसान है?
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कभी-कभी हमारे जीवन में संवादों की कमी होती है। हम लोगों को घूमते हुए देखते हैं, लेकिन हम एक-दूसरे से जुड़ने में नाकाम रहते हैं। आइए हम इसके बारे में बात करते हैं।
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A musical journey, moving ahead through the philosophical descriptions of life.