Episodes
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एपिसोड 10: पंडित नेहरू और राष्ट्रवाद
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आजादी आई , इंडिपेंडेंस आई. किसके लिए आज़ादी आयी, किसके लिए इंडिपेंडेंस आई? क्या चंद लोगों के लिए आयी ? जवाहरलाल के लिए आयी की आपने उसको चंद रोज के लिए प्रधानमंत्री बना दिया ? जवाहरलाल आएंगे और जायेंगे और लोग भी आते है और जाते है लेकिन हिन्दुस्तान तो आता ही है और आता ही रहेगा।
- जवाहरलाल नेहरू, 15 अगस्त 1960
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Missing episodes?
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इस एपिसोड से स्पष्ट होता है कि कश्मीर के भारत में विलय की परिस्थितियों में नेहरू क्या कर रहे थे और पटेल क्या कर रहे थे। इस मुहीम में दोनों की भूमिकाएं क्या थी। वे उस काम को करने के लिए अपना सब कुछ होम कर देते है और बाद में आलोचना करने वाले बड़ी आसानी से यह कह देते है कि ऐसा नहीं है, ऐसा चाहिए था।
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पंडित नेहरू जानते थे कि अगर कश्मीर भारत में नहीं रहा और पाकिस्तान में चल गया या फिर आज़ाद हो गया तप दुनिया की शक्तियां कश्मीर के बहाने भारत के सिर पर नाचती रहेंगी। यह भारत की सुरक्षा के लिए एक स्थायी अंतर्राष्ट्रीय खतरा बन जायेगा।
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2014 के बाद एक ऐसे नेहरू को प्रचारित करने का सफल प्रयास किया गया जिसका ताल्लुक उसे नेहरू से तो बिलकुल नहीं था जिसने देश की आज़ादी के लिए तीस साल का संघर्ष किया और उस तीस साल में से 10 साल जेल में रहे…
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न तो वे आज़ादी की लड़ाई के उस दौर में सक्रिय उन नायकों मे शामिल नहीं थे जिन्होंने सब कुछ दांव पर लगाकर मातृभूमि की आज़ादी की लड़ाई लड़ी, ने ही वे उस दौर के उन बुद्धिजीवियों में से थे जिन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त समस्याओं को केंद्र में रखकर भविष्य की राह दिखाने वाले बौद्धिक काम किये।
परिचय सिर्फ इतना है उनका कि वे उन मोहनदास करमचंद गांधी के हत्यारे थे जिन्हे नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने राष्ट्रपिता कहा था और गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर ने महात्मा। -
देश में सक्रिय नफ़रत और हिंसा की शक्तियों को, जो देश की आज़ादी को ख़तरे में डालने का काम कर रही हैं, जड़ से उखाड़ने के लिए… भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को ग़ैरक़ानूनी घोषित करने का फ़ैसला किया है. देश के कई हिस्सों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े कई व्यक्ति हिंसा, आगजनी, लूटपाट, डकैती, हत्या आदि की घटनाओं में शामिल रहे हैं और उन्होंने अवैध हथियार तथा गोला-बारूद जमा कर रखा है. वे ऐसे पर्चे बांटते पकड़े गए हैं, जिनमें लोगों को आतंकी तरीक़े से बंदूक आदि जमा करने को कहा जा रहा है…संघ की गतिविधियों से प्रभावित और प्रायोजित होनेवाले हिंसक पंथ ने कई लोगों को अपना शिकार बनाया है. उन्होंने गांधी जी, जिनका जीवन हमारे लिए अमूल्य था, को अपना सबसे नया शिकार बनाया है. इन परिस्थितियों में सरकार इस ज़िम्मेदारी से बंध गई है कि वह हिंसा को फिर से इतने ज़हरीले रूप में प्रकट होने से रोके. इस दिशा में पहले क़दम के तौर पर सरकार ने संघ को एक ग़ैरक़ानूनी संगठन घोषित करने का फ़ैसला किया है.
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सावरकर के बारे में जो ऐतिहासिक सच्चाई है, उसे भाजपा और संघ बार-बार झुठलाना या छिपाना चाहती है. यही कारण है कि वह भगतसिंह, गांधी, नेहरु, कांग्रेस समेत सभी स्ववतंत्रता सेनानियों और उसके वंशजों को भाजपा देशद्रोही, गद्दार बताने और गद्दार-माफीवीर सावरकर को ‘देशभक्त वीर’ साबित करने के लिए देशभक्ति और गद्दारी की परिभाषा को बदल रही है.
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इस एपिसोड में आप सुनेंगे की की तरह से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने देश की आज़ादी के लड़े जा रहे भारत छोड़ो आंदोलन का किस प्रकार से विरोध किया था।
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इस एपिसोड में आरएसएस संस्थापक के बी हेडगेवार की जीवनी के कुछ अंश और भारत की आज़ादी में उनकी भूमिका के बारे में कुछ बताया गया है।
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This podcast is about the introduction.