Episódios
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ऊर्जा बदलाव की छठी कड़ी में हृदयेश जोशी बात कर रहे हैं स्वाति डिसूजा और डॉ अजय माथुर से। डिसूजा इंटरनेशन एनर्जी एजेंसी में इंडिया एनालिस्ट और कॉर्डिनेटर हैं, और माथुर इंटरनेशनल सोलर एलायंस के प्रमुख हैं। इस बातचीत में विशेषज्ञों से यह जानने की कोशिश है कि भारत के ऊर्जा बदलाव में कैसे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग हो सकता है। चर्चा इस पर भी हुई कि G20 समूह और CoP28 जैसी मीटिंग्स से भारत को ऊर्जा बदलाव में क्या अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मिल सकता है या भागेदारी की जा सकती है।
रिसर्च और प्रोडक्शन - मयंक अग्रवाल, हृदयेश जोशी
मिक्सिंग - तेजस दयानंद सागर
आर्ट वर्क - श्रद्धा मंड
In the sixth episode of ‘Urja Badlav’, Hridayesh Joshi speaks to Dr Ajay Mathur, International Solar Alliance’s Director General, and Swati Dsouza, who works with the International Energy Agency as India Analyst and Coordinator. They discuss about the emphasis on Just Energy Transition in the New Delhi declaration at the just concluded G20 summit. They discuss how international cooperation is an important and integral component of India’s energy transition journey and what it means as the country prepares for CoP28 in Dubai later this year. The guests also examined the lessons that India can draw from energy transition efforts elsewhere in world and the scope of international cooperation to drive India’s energy transition.
Research & Production - Mayank Aggarwal, Hridayesh Joshi
Mixing - Tejas Dayananda Sagar
Art work - Shraddha Mandle
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ऊर्जा बदलाव की पाँचवीं कड़ी में हृदयेश जोशी बात कर रहे हैं IEEFA की साउथ एशिया डायरेक्टर विभूति गर्ग और पत्रकार रोली श्रीवास्तव जो थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन के साथ काम करती हैं।
इस कड़ी में हमारे मेहमानों ने इस मुद्दे पर चर्चा बात की कि अक्षय ऊर्जा का भारत के एनर्जी ट्रांजिशन में क्या योगदान है। उन्होंने इस बात पर भी अपना पक्ष रखा कि भारत 2030 के अपने अक्षय ऊर्जा टारगेट - सौर और पवन ऊर्जा - के लिए क्या कर रहा है और क्या करना चाहिये। दोनों मेहमानों ने अक्षय ऊर्जा के सामाजिक और पर्यावरणीय पहलुओं पर भी बात की।
रिसर्च और प्रोडक्शन - मयंक अग्रवाल, हृदयेश जोशी
मिक्सिंग - तेजस दयानंद सागर
आर्ट वर्क - श्रद्धा मंड
In this episode of ‘Urja Badlav’, Hridayesh Joshi speaks to energy expert Vibhuti Garg, who is Director, South Asia with the Institute for Energy Economics and Financial Analysis, and Roli Srivastava, a senior journalist who works with Thomson Reuters Foundation on issues such as Just Transition, gender, inclusive economy, etc. They discuss the role and importance of renewable energy in India’s energy transition. The guests discussed India’s present installed capacity of renewable energy, mainly solar and wind, and the country’s 2030 target of 450,000 MW installed capacity of renewable energy. They also discussed the social and environmental aspects of renewable energy in India.
Research & Production - Mayank Aggarwal, Hridayesh Joshi
Mixing - Tejas Dayananda Sagar
Art work - Shraddha Mandle
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Estão a faltar episódios?
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ऊर्जा बदलाव की चौथी कड़ी में हृदयेश जोशी बात कर रहे हैं ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर कुंतला लाहिरी दत्त और सुरवि नायक जो दिल्ली स्थित सेंटर फॉर पॉलिस रिसर्च में एसोसिएट फेलो हैं।
इस बातचीत में यह जानने की कोशिश है कि भारत के ऊर्जा क्षेत्र में महिलाओं की क्या भूमिका है और उसमें बदलाव आने से उन पर क्या प्रभाव पड़ेगा। क्या अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में महिलाओं के लिए रोज़गार के पर्याप्त अवसर हैं और क्यों ज़रूरी है की जस्ट ट्रांजिशन के विमर्श में वह अहम भूमिका निभाएँ।
In this episode of ‘Urja Badlav’, Hridayesh Joshi speaks to Professor Kuntala Lahiri Dutt, who works at the Australian National University, and Suravee Nayak, who is an associate fellow at the Centre for Policy Research in Delhi.
In this episode, they discussed the role of women in India’s energy transition. They examined how women remain invisible in the country’s energy debate and thus on the need to ensure they are an integral stakeholder in the Just Energy Transition conversation. They also discussed the space for women in India’s rapidly expanding renewable energy sector.
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ऊर्जा बदलाव की तीसरी कड़ी में हृदयेश जोशी बात कर रहे हैं दिल्ली की अम्बेडकर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर अस्मिता काबरा और ओड़िशा की सामाजिक कार्यकर्ता स्वप्ना सारंगी से।
इस बातचीत में यह जानने की कोशिश है कि खनन और जीवाश्म ईंधन पर आधारित ऊर्जा क्षेत्र में जस्ट ट्रांजिशन का वहाँ पर रहने वाले लोगों की आजीविका और नौकरियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। क्या ऐसे क्षेत्रों में रहने वालों को दूसरे गाँवों और शहरों की ओर पलायन करना पड़ेगा। दोनों विशेषज्ञों ने इस मुद्दे पर भी चर्चा की कि कैसे सरकारों को प्रभावित होने वाले लोगों के लिए रोज़गार के नये साधन खोजने होंगे या फिर कैसे उन्हें नए कौशल सिखाये जा सकते हैं |
In this episode of ‘Urja Badlav’, Hridayesh Joshi speaks to Asmita Kabra, a professor at the Ambedkar University in Delhi, and Swapna Sarangi, who works with Foundation for Ecological Security, in Odisha on environmental issues.
They discuss about the direct and indirect jobs that may be impacted due to the phase out of fossil fuels and the resultant migration that it could trigger. They also examine the need for finding alternate livelihoods and the possibilities of policies that address the rehabilitation and the re-skilling of the workforce.
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ऊर्जा बदलाव की दूसरी कड़ी में हृदयेश जोशी बात कर रहे हैं आईआईटी दिल्ली के रोहित चंद्रा से और गुलाब चंद्र प्रजापति, जो झारखंड में समाहित कार्यकर्ता हैं।
इस कड़ी में दोनों मेहमानों बात कर रहे हैं की किस तरीक़े से देश के कई हिस्से जीवाश्म ऊर्जा से चलने वाले प्रोजेक्ट्स और खनन से जुड़े हैं और कैसे यह कंपनियाँ इन क्षेत्रों में स्कूल, हॉस्पिटल आदि चलती हैं। दोनों मेहमान बात कर रहे हैं की कैसे ऊर्जा बदलाव की बातचीत में इस खनन प्रभावित समाज की भागीदारी बहुत ज़रूरी हैं।
In this episode of ‘Urja Badlav’, Hridayesh Joshi speaks to Rohit Chandra of the Indian Institute of Technology, Delhi and Jharkhand-based social activist Gulab Chandra Prajapati to examine the impact of fossil fuel-based energy projects including mining on communities.
The guests talk about the effects the projects have on the communities that are directly or indirectly impacted by them, as well as how closely connected their lives are to such initiatives, which also contribute to social infrastructure in such regions. They also spoke on the importance of making the communities an important stakeholder in the Just Transition conversation and emphasized the importance of a Just Transition fund to address the requirements of this community.
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इस एपिसोड में हृदयेश जोशी बात कर रहे हैं अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ता संदीप पाइ से।
संदीप पूरी दुनिया में और विशेषकर भारत में जस्ट ट्रांजिशन का अध्ययन कर रहे हैं। मयंक अग्रवाल पत्रकार हैं जिन्होंने पिछले कुछ सालों में भारत के जस्ट ट्रांजिशन ग्राफ को बहुत करीब से देखा है और उस पर लगातार लिख रहे हैं।
कार्बनकॉपी के पॉडकास्ट 'ऊर्जा बदलाव' के इस एपिसोड में हृदयेश दोनों जानकारों के साथ यह समझाने की कोशिश करेंगे कि आखिर जस्ट ट्रांजिशन की परिकल्पना क्या है और अगले कुछ दशकों में बढ़ते कोयला उत्पादन के साथ यह कैसे लागू की जा सकेगी। सरकार इसके लिये कितना गंभीर है और उसके पास इसे सुचारू ढंग से लागू करने के लिये पर्याप्त नीतियां हैं भी या नहीं? एक महत्वपूर्ण सवाल ये कि देसी और अंतरराष्ट्रीय हितधारकों की इसमें क्या भूमिका रहेगी
In this episode, our host, Hridayesh Joshi, speaks to Sandeep Pai and Mayank Aggarwal. Sandeep Pai is an international researcher who has been closely following the subject of Just Transition across the globe with a special focus on India. Mayank Aggarwal is a Delhi-based journalist who has written extensively on India’s just transition journey over the last few years.
In the first episode of CarbonCopy’s podcast, ‘Urja Badlav’, Hridayesh Joshi and the two guests decode the concept of Just Transition and how the idea has evolved in India with the country’s focus on increasing coal production over the next decade. They also discuss the policies and framework that are required for just transition in India and whether that is on the agenda of the government or not. They further discussed the role of domestic and international stakeholders in India’s plans for just transition.
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A new podcast in Hindi that focuses on Just Transition in India. It explores the landscape, meaning, and scope of the transition away from coal, its impact on coal-dependent communities, questions around the adoption of renewable energy, and challenges associated with just transition. The podcast also covers the role of communities, the impact on women, skill development opportunities, the importance of alternate livelihood, and the need for national & international cooperation for a just energy transition in India.