Episódios
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सवाल तो कई हैं पर अब घर तो घर है, जरूरतों को पूरा करने का घर, तन का घर-मन का घर, मेरा घर, उसका घर, छत वाला घर, खपरैलों में छुपा घर या फिर एक अपना घर यानि इश्क़। पर इस घर में हम जी तो सकते हैं, मर नहीं सकते। हमें मरने के लिए भी तो घर चाहिए...--- Support this podcast: https://podcasters.spotify.com/pod/show/sarmaanki/support
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________________________पुराने वृक्षों की खाल की रन्ध्रों मेंउग आते हैं छोटे-बड़े छातेनुमापीले, मटमैले मशरूममेरी पुरानी स्मृतियों में जिस तरहतुम्हारा उग आना होता हैमटमैली, पीली, धुँधली सी हो करकिसी विंटेज खिड़की सेथोड़ी सुन्दर लेकिन छू लेनेमहसूसनेपकड़ने से बहुत दूरक्षणिकाओं की तरह।।________________________तारीख- २०-०१-२०२४दो० १२:३६ बजे________________________--- Support this podcast: https://podcasters.spotify.com/pod/show/sarmaanki/support
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Estão a faltar episódios?
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Khayal hi nahi, ishq bhi hai intezaarnama.--- Support this podcast: https://podcasters.spotify.com/pod/show/sarmaanki/support
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केदारनाथ सिंह शायद हिन्दी के समकालीन काव्य परिदृश्य में अकेले ऐसे कवि हैं, जो एक ही साथ गाँव के भी कवि हैं और शहर के भी। उनकी यह कविता शायद ऊँघते काटे जा रहे जंगलों की कराह होगी जो मुझे पढ़ने मिली।--- Support this podcast: https://podcasters.spotify.com/pod/show/sarmaanki/support
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एक अहसासकि माँ अभी मेरी हथेली परअपना हाथ मल कर गईंऔर छोड़ गईं खुद कोशीशे में, मुझ में...--- Support this podcast: https://podcasters.spotify.com/pod/show/sarmaanki/support
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इतिहास में इंतजार की कोई जगह नहीं होती। इन्तज़ारनामा 2, ऑडियो- Santoor Flute Raag Jhinihoti by Pt. Shri Shiv kumar sharma, Pt. Shri Hariprasad chaurasiya.--- Support this podcast: https://podcasters.spotify.com/pod/show/sarmaanki/support
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मेरा तुम्हारे लिएअव्यवस्थित ढंग सेकिया गया प्रेमहमेशा सबसे सुंदर रहा।।Poem by - Ankit--- Support this podcast: https://podcasters.spotify.com/pod/show/sarmaanki/support
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बहुत दिनों से फूल धरे हैंघर में टेबल की छत्ती परमुरझाए से सिकुड़े सारेजैसे मेरा मन मुरझाया,मेरे मन के मुरझाने परतुम तो पानी दे आँखों काकर देती हो ताजा सब कुछ,फूलों को बोलो क्या दूँ मैं ?कैसे ताजा करूँ कहो अबकैसे उनको यह बतलाऊँ,मेरी आँखों के देखे सेनज़र लगी तो मुरझाता सब,--- Support this podcast: https://podcasters.spotify.com/pod/show/sarmaanki/support
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चिट्ठी खतम हो गयी थी। प्रेमनुराग आँखों से जलप्रपात की तरह तरल हो निकला था। तभी विविध भारती में घर के बाहर से जाती कार में सुनाई दिया। बाबूजी धीरे चलना, प्यार में ज़रा सम्भलना, बड़े धोखे हैं इस राह में...!! Music by @Anupamroy Piku movie.--- Support this podcast: https://podcasters.spotify.com/pod/show/sarmaanki/support
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हम कई बार जी लेना चाहते हैं, कविताओं में, वक़्तों के हिस्सों में, उसी जगह से एक कविता.-- मेरी सारी कविताओं मेंसिमट जाते हैं हम दोनों-खिलखिलाकर गले लगते हैंकहते हैं दो-चार बातेंऔर हो जाते हैं अपने आप में मशरूफ़-किसी दिन ऐसा असल में होतो मैं छोड़ दूँ कविताएं लिखनाऔर मशरूफ़ हो जाऊँ तुममें-यूँ कविताओं में सिमटे रहनाअब और नहीं होता।। Audio in background taken from Piku movue, Music created by @AnupamRoy @PratyushBanerjee--- Support this podcast: https://podcasters.spotify.com/pod/show/sarmaanki/support
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इमैजिनेशन की वो दुनिया जिसमें सब खूबसूरत है, बेहद खूबसूरत, आपके लिये।।--- Support this podcast: https://podcasters.spotify.com/pod/show/sarmaanki/support
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हमेशा की तरह हतप्रभ कर देने वाले विनोद कुमार शुक्ल जी की यह कविता...--- Support this podcast: https://podcasters.spotify.com/pod/show/sarmaanki/support
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फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ साहब की ये नज़्म जो रिश्ते बयां करती है।।--- Support this podcast: https://podcasters.spotify.com/pod/show/sarmaanki/support
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Let's define the beauty...--- Support this podcast: https://podcasters.spotify.com/pod/show/sarmaanki/support
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जीवन की अनियमितताएं, सच, मृत्यु, सब कुछ एक मात्र फूल में निहित...!!--- Support this podcast: https://podcasters.spotify.com/pod/show/sarmaanki/support
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चिट्ठियां कैप्शन नहीं ले कर चलतीं।--- Support this podcast: https://podcasters.spotify.com/pod/show/sarmaanki/support
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Science is fiction, Spirituality is real or Science is real and Spirituality is function ? Choose wisely, until then, listen this poem.--- Support this podcast: https://podcasters.spotify.com/pod/show/sarmaanki/support
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प्रेमानुभूति प्रक्रिया से क्रिया का सफलतम रूप होती है।--- Support this podcast: https://podcasters.spotify.com/pod/show/sarmaanki/support
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दिसम्बर के दिन सालों से पुछल्ले माने जाते रहे हैं पर असल में नीव की तरह काम में लगे होते हैं वो भी आगे आने वाले साल के लिए। इसी कोशिश में ये कुछ अलग और बड़े वक़्त बाद नई कविता। आपके और दिसम्बर के नाम।--- Support this podcast: https://podcasters.spotify.com/pod/show/sarmaanki/support
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Translation by Ankit, Written by Pablo Neruda.. It's just a try...--- Support this podcast: https://podcasters.spotify.com/pod/show/sarmaanki/support
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