"वायुदेव का अन्तर्धान, ऋषियों का सरस्वती में अवभृथ- स्नान और काशी में दिव्य तेज का दर्शन कर के ब्रह्माजी के पास जाना, ब्रह्मा जी का उन्हें सिद्धि-प्राप्ति की सूचना देकर मेरु के कुमार-शिखर पर भेजना"
"योग के अनेक भेद, उसके आठ और छ: अंगों का विवेचन -यम, नियम, आसन, प्राणायाम, दशविध, प्राणों को जीतने की महिमा, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि का निरूपण"
"पंचाक्षर-मन्त्र के जप तथा भगवान् शिव के भजन-पूजन की महिमा, अग्निकार्य के लिये कुण्ड और वेदी आदि के संस्कार, शिवाग्नि की स्थापना और उसके संस्कार, होम, पूर्णाहुति, भस्म के संग्रह एवं रक्षण की विधि तथा हवनान्त में किये जाने वाले कृत्य का वर्णन"
"त्रिविध दीक्षा का निरूपण, शक्तिपात की आवश्यकता तथा उसके लक्षणोंका वर्णन, गुरुका महत्त्व, ज्ञानी गुरु से ही मोक्ष की प्राप्ति तथा गुरु के द्वारा शिष्य की परीक्षा"