Эпизоды
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पुस्तक का नाम : गुलदस्ता (कवि गंगाधर शर्मा ‘हिंदुस्तान’
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छंद रोला : कवि गंगाधर शर्मा ‘हिंदुस्तान’
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Пропущенные эпизоды?
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रोला छंद : कवि हिंदुस्तान
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कवि गंगा धर शर्मा ‘हिंदुस्तान’
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कवि गंगाधर शर्मा ‘हिंदुस्तान’
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स्वर एवम् संगीत : गंगाधर शर्मा 'हिंदुस्तान'
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जगद्गुरु आदि शंकराचार्य के जन्मकाल की परिस्थितियाँ सनातन संस्कृति और धर्म के प्रतिकूल थी। ऐसे विकट समय में सनातन की पुनर्स्थापना करने और उसे पुनर्व्याख्या के द्वारा संपूर्ण भरतखंड के जनमानस तक पहुँचाने का जो अविस्मरणीय योगदान प्रातःस्मरणीय शंकराचार्य जी ने अपने अत्यल्प से ही जीवनकाल में किया उसी को समर्पित है मेरी यह रचना। कवि गंगाधर शर्मा ‘हिंदुस्तान’
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कवि गंगाधर शर्मा ‘हिंदुस्तान’
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दहेज की लालसा व्यक्ति को राक्षस बना देती है ऐसे में वह अपने प्रति पूर्णतः समर्पित अपनी ही अर्द्धांगिनी तक के प्रति क्रूरता की सभी सीमाओं को पार कर जाता है। समाज में व्याप्त इस बुराई को जड़ से उखाड़ फेंकना मानवता की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है। इस हेतु दहेज के आदान-प्रदान को समाज द्वारा हतोत्साहित किया जाए। कवि गंगा धर शर्मा ‘हिंदुस्तान’
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काव्य संग्रह गुलदस्ता से ली गई यह कविता मानव द्वारा किट जाने वाले प्रकृति के अंधाधुँध दोहन की भयावहता को दिखाती है। कवि गंगाधर शर्मा ‘हिंदुस्तान’
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दोहा और चौपाई छंद में रचित इस रचना में भारत के असम राज्य के विविध प्रकार के वैभव को दर्शाने का एक विनीत प्रयास किया गया है। कवि गंगाधर शर्मा ‘हिंदुस्तान’
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रूपनगढ़ की राजकुमारी चारुमति के लिए मुग़ल सल्तनत से विवाह का प्रस्ताव/डोला आने पर चारुमति ने उदयपुर महाराणा राजसिंह जी को अपनी रक्षा कर भार्या रूप में स्वीकार करने हेतु संदेश भेजा गया। महाराणा राजसिंह जी ने अपने विश्वस्त सेनानायक सलूम्बर अधिपति वीर शिरोमणि रतन सिंह जी को सेना सहित रूपनगढ़ पहुँच कर मुग़लों से इस विषय में होने वाले संभावित युद्ध में योगदान हेतु संदेश भेजा। यह संदेश उन्हें उस समय मिला था जब हाड़ा राजकुमारी से उनका विवाह हुआ ही था। संदेश मिलने पर शौर्य और बलिदान का जो अनुपम अनुभव मेवाड़(भारत) की भूमि ने किया उसी के प्रति श्रद्धा सुमन स्वरूप राष्ट्र को समर्पित है मेरी यह रचना। कवि : गंगाधर शर्मा ‘हिंदुस्तान’
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कवि : गंगाधर शर्मा ‘हिन्दुस्तान’
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कवि : गंगाधर शर्मा ‘हिन्दुस्तान’
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सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने अपने जीवन का आखरी बाण गजनी में माओहम्मद गौरी द्वारा क्रूरता पूर्वक आँखों की रोशनी छीने जाने के बाद चलाया था। उसी प्रसंग को समेटती यह कविता है : पृथ्वीराज का अंतिम शर।
कवि गंगाधर शर्मा 'हिन्दुस्तान'
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भारत के महान सपूत सम्राट पृथ्वीराज चौहान की वीरता अद्वितीय थी। एक भी युद्ध न हारने वाले पृथ्वीराज चौहान का संयोगिता द्वारा वरण एवं अन्य अनेक तात्कालिक घटकों ने राय पिथौरा के नाम से विख्यात इस उद्भट योद्धा के भाग्य में एक हार लिख दी। यह हार देने वाला गजनी का सुल्तान मोहम्मद गौरी था और सम्राट की पराजय धोखे एवं विश्वासघात का परिणाम थी। सम्राट के परम मित्र महाकवि चंद बरदाई की अनुपस्थिति में हुई इस हार के बाद गौरी द्वारा उन्हे बंदी बनाकर गजनी ले जाया गया है यह समाचार पाकर चंद भी गजनी चला जाता है और दोनों मित्र मिलकर मोहम्मद गौरी का वध कर देते हैं। इसी प्रसंग को समेटे हुए यह रचना राष्ट्र को समर्पित है।
कवि गंगाधर शर्मा 'हिन्दुस्तान'
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गीत स्वर और संगीत : गंगाधर शर्मा 'हिन्दुस्तान'
23 मार्च 1931 को भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान अदम्य साहस के धनी सरदार भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने मातृभूमि को परतंत्रता की बेड़ियों से आजाद करने के लिए सर्वोपरि बलिदान दिया। इस बलिदान ने आने वाले समय मे बलिदानियों की जो फौज खड़ी की उसी की बदौलत भारत ने आजादी पाई। आजादी के लिए बलिदान होने वाले ज्ञात-अज्ञात सभी शहीदों को मेरा नमन।
गंगा धर शर्मा 'हिन्दुस्तान'
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सुंदरकाण्ड पाठ (रामचरित मानस)
प्रस्तुतकर्ता : गंगा धर शर्मा 'हिन्दुस्तान'
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कवि गंगाधर शर्मा ‘हिन्दुस्तान’
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