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वो प्लेन उड़ा कर अटलांटिक महासागर पार करने वाली दुनिया की पहली महिला थीं. वो एक के बाद एक कई रिकॉर्ड बनाना चाहती थीं. और इसी चाहत में वो अपनी आखिरी उड़ान पर निकली थीं. लेकिन यह उड़ान कभी पूरी नहीं हुई. रास्ते में उनका प्लेन क्रैश हुआ. इस क्रैश के बाद ना किसी को विमान मिला, ना ही अमेलिया का शरीर. 85 सालों से दुनिया भर के रिसर्चर यह पता लगाने में लगे हैं कि आखिर उनके साथ हुआ क्या.
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जब घर वालों को पता चला कि एलिजाबेथ की दोस्ती फिलिप से बढ़ रही है, तो उन्हें बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा. फिलिप के जर्मन नाते के चलते एक तरह से वो दुश्मन देश से जुड़ा हुआ था और ये परिवार को बिलकुल भी रास नहीं आया. इसके अलावा एलिजाबेथ के पिता को फिलिप यूं भी पसंद नहीं थे. वो बस नाम के ही प्रिंस थे. उनके पास धन दौलत के नाम पर कुछ था ही नहीं.
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क्लियोपेट्रा बहुत पढ़ी लिखी थी. उसे उस जमाने के सारे कानून, धर्म, अर्थशास्त्र, राजनीति और इतिहास की बहुत अच्छी जानकारी थी. उस जमाने में उस जितनी ताकतवर और संपन्न महिला दूसरी कोई नहीं थी. क्लियोपेट्रा ने दो दशक से भी ज्यादा प्राचीन मिस्र पर राज किया. पहले अपने पिता के साथ, फिर अपने भाई के साथ और उसके बाद अपने बेटे के साथ. राजा रानियां तो बहुत रहे, लेकिन ये रानी इतनी मशहूर क्यों हुई?
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फ्लोरेंस नाइटिंगेल नर्स से कहीं ज्यादा थीं. उन्होंने लड़कियों की पढ़ाई के बारे में भी आवाज उठाई, भारत की गरीबी पर भी. और तो और उन्होंने लंदन के अपने नर्सिंग स्कूल में पढ़ने वाली नर्सों को काम करने के लिए भारत भेजना शुरू किया. इनका काम था भारत जा कर वहां की लड़कियों को नर्स बनने की ट्रेनिंग देना. आज पूरी दुनिया में भारत की नर्सों को देखा जा सकता है. इसका श्रेय जाता है फ्लोरेंस नाइटिंगेल को.
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मां बाप की खुशी के लिए मंगनी तो की लेकिन सात साल बाद अपनी खुशी के लिए तोड़ दी. खानदान की इज्जत का ख्याल रखते हुए अपने सपने छिपा लिए लेकिन जब हौसला कर के उन्हें पूरा किया तो देश और दुनिया में ऐसी इज्जत कमाई कि सदियों के लिए खानदान का नाम रोशन कर दिया. वो कौन थी में आज का किस्सा है दुनिया की पहली नर्स फ्लोरेंस नाइटिंगेल का.
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यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने के लिए उसे आठ साल का इंतजार करना पड़ा था. खतरनाक रसायनों के साथ एक्सपेरिमेंट करने के लिए उसके पास कोई लैब नहीं, बस एक स्टोर रूम था. रेडियोएक्टिविटी क्या होती है, ये उसी ने दुनिया को बताया. लेकिन खुद नंगे हाथों से रेडियोधर्मी केमिकल को टेस्ट करती थी. आज की कहानी है उस महिला की जिसे दो बार नोबेल पुरस्कार हासिल हुआ, वो भी फिजिक्स और केमिस्ट्री जैसे दो अलग अलग क्षेत्रों में.
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बात 1907 की है. भारत की आजादी से चालीस साल पहले की. उस जमाने में जब अपने ही देश में भारत का झंडा फहराना मुश्किल था, एक बहादुर पारसी महिला ने विदेश में पहली बार भारत का झंडा फहराया था. आज की कहानी मैडम भीकाजी कामा की, जिन्होंने जर्मनी के श्टुटगार्ट शहर में आ कर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन में हिस्सा लिया और ना केवल अंग्रेजों, बल्कि पूरी दुनिया के आगे भारत का झंडा फहराने की हिम्मत दिखाई.
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वो मार्क्सवादी थीं लेकिन लेनिन की विचारधारा से सहमत नहीं थीं. वो लेनिन का विरोध भी खुल कर करती थीं लेकिन उनके सम्मान में कोई कमी भी नहीं आने देती थीं. जन्मी वो पोलैंड में थीं, पढ़ाई उन्होंने स्विट्जरलैंड में की, बतौर पत्रकार वो जर्मनी में सक्रिय रहीं और पूरी दुनिया में वो क्रांतिकारी रोजा के नाम से जानी गईं. आज की कहानी रोजा लक्जमबर्ग की.
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आपने स्कूलों के नाम के आगे मोंटेसरी शब्द का इस्तेमाल कई बार सुना होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका मतलब क्या होता है? मोंटेसरी स्कूल बाकी स्कूलों से अलग कैसे होते हैं? ये शब्द आया कहां से? इन सवालों के जवाब देने के लिए वो कौन थी में आज आपको ले चलती हूं इटली.
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एक आम धारणा है कि लड़के गणित और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में लड़कियों से बेहतर होते हैं. अकसर इसी कारण लोग लड़कियों के लिए जब गिफ्ट भी खरीदते हैं तो कंप्यूटर, वीडियो गेम या रोबोट के बारे में नहीं सोचते. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे पहली कंप्यूटर प्रोग्रामर एक लड़की थी. ऐडा लवलेस ने आधुनिक कंप्यूटर इजात होने से सौ साल पहले ही कंप्यूटर प्रोग्राम लिख दिया था.
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छह साल की उम्र में उसे पोलियो हो गया था. 18 साल की थी जब एक भयानक सड़क हादसे का शिकार हुई. रीढ़ की हड्डी, कॉलरबोन, रिबकेज, पेल्विस.. सब टूट गया. बार बार मिसकैरेज हुए. 43 की उम्र में गैंग्रीन के कारण एक टांग काटनी पड़ी. इसके बाद निमोनिया और इस दर्दनाक जिंदगी के कारण डिप्रेशन को भी झेलना पड़ा. फिर भी फ्रीडा कालो अपनी फेवरेट बनी रही. अपने जीवन के सारे दर्द को फ्रीडा ने अपनी पेंटिंग्स में दर्शाया.
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हम बचपन से औरतों को ही टीचर और नर्स की भूमिका में देखते आए हैं. ऐसे में अकसर इन्हें महिलाओं से जुड़ा पेशा ही माना जाता है. लेकिन एक सदी पहले तक ऐसा नहीं था. सौ साल पहले के भारत में जब सावित्री बाई फुले ने पहली बार टीचर बनने की कोशिश की थी तो इसका इनाम उन्हें यह मिला था कि परिवार ने उन्हें घर से ही निकाल दिया था. यह कहानी है उस महिला की जिसने भारत के समाज में लड़कियों को अपनी जगह बनानी सिखाई.
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एक 14 साल की बच्ची दुनिया के बारे में कितना जानती समझती होगी? आने फ्रांक की डायरी उठा कर पढ़ेंगे तो हैरान रह जाएंगे कि जिस उम्र में लड़के लड़कियों की बातों को बचकाना कह कर नजरअंदाज कर दिया जाता है, उस उम्र में वे भावनाओं को किन गहराइयों में जा कर समझ रहे होते हैं. यह कहानी है उस यहूदी लड़की की जो नाजी काल में अपने परिवार के साथ छिप कर रहने पर मजबूर थी.
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21वीं सदी की दुनिया तकनीकी रूप से तो बहुत तरक्की कर चुकी है लेकिन महिलाओं के अधिकारों की बात की जाए, तो समाज आज भी बहुत पिछड़ा हुआ है. यह कहानी है पांचवी सदी के प्राचीन ग्रीस में रहने वाली हाईपेशिया की जिसे इसलिए कत्ल कर दिया गया क्योंकि मर्दों की दुनिया में वह अकेली एक महिला थी जो विज्ञान, गणित और दर्शनशास्त्र में महारत रखती थी. कहानी 1600 साल पुरानी है पर आज की ही लगती है.
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हर साल नया फैशन आ जाता है. कभी ढीली पैंट का रिवाज चल पड़ता है तो कभी टाइट लेगिंग का. लेकिन यह फैशन रचता कौन है? वो कौन थी के इस एपिसोड में सुनिए कहानी उस महिला की जिसने तय किया कि औरतों का लिबास सिर्फ खूबसूरत ही नहीं आरामदायक भी होना चाहिए. यह कहानी है दुनिया की सबसे मशहूर डिजाइनर कोको शनैल की जिसने फैशन की दुनिया को हमेशा हमेशा के लिए बदल कर रख दिया.
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लोग अकसर ऐसा कह देते हैं कि गाड़ी चलाना औरतों के बस की बात नहीं होती लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया की पहली गाड़ी एक औरत ने ही चलाई थी? वो कौन थी के पहले एपिसोड में सुनिए कहानी उस महिला की जो ना होती, तो आज शायद आप गाड़ी ना चला रहे होते. यह कहानी है बेर्था बेंज की जिन्होंने दुनिया की सबसे पहली टेस्ट ड्राइव की थी.