Bölümler
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सवाल तो कई हैं पर अब घर तो घर है, जरूरतों को पूरा करने का घर, तन का घर-मन का घर, मेरा घर, उसका घर, छत वाला घर, खपरैलों में छुपा घर या फिर एक अपना घर यानि इश्क़। पर इस घर में हम जी तो सकते हैं, मर नहीं सकते। हमें मरने के लिए भी तो घर चाहिए...
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पुराने वृक्षों की खाल की रन्ध्रों में
उग आते हैं छोटे-बड़े छातेनुमा
पीले, मटमैले मशरूम
मेरी पुरानी स्मृतियों में जिस तरह
तुम्हारा उग आना होता है
मटमैली, पीली, धुँधली सी हो कर
किसी विंटेज खिड़की से
थोड़ी सुन्दर
लेकिन छू लेने
महसूसने
पकड़ने से बहुत दूर
क्षणिकाओं की तरह।।
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तारीख- २०-०१-२०२४
दो० १२:३६ बजे
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Eksik bölüm mü var?
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Khayal hi nahi, ishq bhi hai intezaarnama.
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केदारनाथ सिंह शायद हिन्दी के समकालीन काव्य परिदृश्य में अकेले ऐसे कवि हैं, जो एक ही साथ गाँव के भी कवि हैं और शहर के भी। उनकी यह कविता शायद ऊँघते काटे जा रहे जंगलों की कराह होगी जो मुझे पढ़ने मिली।
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एक अहसास
कि माँ अभी मेरी हथेली पर
अपना हाथ मल कर गईं
और छोड़ गईं खुद को
शीशे में, मुझ में... -
इतिहास में इंतजार की कोई जगह नहीं होती।
इन्तज़ारनामा 2, ऑडियो- Santoor Flute Raag Jhinihoti by Pt. Shri Shiv kumar sharma, Pt. Shri Hariprasad chaurasiya. -
मेरा तुम्हारे लिए
अव्यवस्थित ढंग से
किया गया प्रेम
हमेशा सबसे सुंदर रहा।।
Poem by - Ankit -
बहुत दिनों से फूल धरे हैं
घर में टेबल की छत्ती पर
मुरझाए से सिकुड़े सारे
जैसे मेरा मन मुरझाया,
मेरे मन के मुरझाने पर
तुम तो पानी दे आँखों का
कर देती हो ताजा सब कुछ,
फूलों को बोलो क्या दूँ मैं ?
कैसे ताजा करूँ कहो अब
कैसे उनको यह बतलाऊँ,
मेरी आँखों के देखे से
नज़र लगी तो मुरझाता सब, -
चिट्ठी खतम हो गयी थी। प्रेमनुराग आँखों से जलप्रपात की तरह तरल हो निकला था। तभी विविध भारती में घर के बाहर से जाती कार में सुनाई दिया। बाबूजी धीरे चलना, प्यार में ज़रा सम्भलना, बड़े धोखे हैं इस राह में...!! Music by @Anupamroy Piku movie.
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हम कई बार जी लेना चाहते हैं, कविताओं में, वक़्तों के हिस्सों में, उसी जगह से एक कविता.-- मेरी सारी कविताओं में
सिमट जाते हैं हम दोनों-
खिलखिलाकर गले लगते हैं
कहते हैं दो-चार बातें
और हो जाते हैं अपने आप में मशरूफ़-
किसी दिन ऐसा असल में हो
तो मैं छोड़ दूँ कविताएं लिखना
और मशरूफ़ हो जाऊँ तुममें-
यूँ कविताओं में सिमटे रहना
अब और नहीं होता।।
Audio in background taken from Piku movue, Music created by @AnupamRoy @PratyushBanerjee -
इमैजिनेशन की वो दुनिया जिसमें सब खूबसूरत है, बेहद खूबसूरत, आपके लिये।।
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हमेशा की तरह हतप्रभ कर देने वाले विनोद कुमार शुक्ल जी की यह कविता...
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फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ साहब की ये नज़्म जो रिश्ते बयां करती है।।
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Let's define the beauty...
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जीवन की अनियमितताएं, सच, मृत्यु, सब कुछ एक मात्र फूल में निहित...!!
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चिट्ठियां कैप्शन नहीं ले कर चलतीं।
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Science is fiction, Spirituality is real or Science is real and Spirituality is function ? Choose wisely, until then, listen this poem.
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प्रेमानुभूति प्रक्रिया से क्रिया का सफलतम रूप होती है।
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दिसम्बर के दिन सालों से पुछल्ले माने जाते रहे हैं पर असल में नीव की तरह काम में लगे होते हैं वो भी आगे आने वाले साल के लिए। इसी कोशिश में ये कुछ अलग और बड़े वक़्त बाद नई कविता। आपके और दिसम्बर के नाम।
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Translation by Ankit, Written by Pablo Neruda.. It's just a try...
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