Folgen
-
☸️*धम्मपद*☸️
*१. यमक-वग्गो*
*गाथा क्र. १:४*
*४.* *अक्कोच्छि मं अवधि मं अजिनि मं अहासि मे ।*
*ये च तं नुपनय्हन्ति वेरं तेसूपसम्मति ।।४।।*
*अनुवाद:* मुझे गाली दी, मुझे मारा, मुझे पराजित किया, - ऐसा जो मन में नहीं सोचता, उसी का वैर (शत्रु) शांत होता है ।। ४।। -
☸️ *धम्मपद* ☸️
*१. यमक-वग्गो*
*गाथा क्र. १:३*
*३.* *अक्कोच्छि मं अवधि मं अजिनि मं अहासि मे ।*
*ये च तं उपनय्हन्ति वेरं तेसं न सम्मति ।।३।।*
*अनुवाद:* मुझे गाली दी, मुझे मारा, मुझे हरा दिया, मुझे लुट लिया- ऐसी बातें जो सोचते रहते हैं, मन में बांधे रखते हैं, उनका वैर कभी शांत नहीं होता ।। ३।। -
Fehlende Folgen?
-
☸️ *धम्मपद* ☸️
*१. यमक-वग्गो*
*गाथा क्र. १:२*
*२.* *मनोपुब्बड़ग्मा धम्मा मनोसेट्ठा मनोमया।*
*मनसा चे पसन्नेन भासति वा करोति वा।*
*ततोनं सुखमन्वेति छाया' व अनपायिनी ।।२।।*
*अनुवाद:* सभी धर्म (चैतसिक अवस्थायें) पहले मन में उत्पन्न होते हैं, मन ही प्रधान है, वे सभी मनोमय हैं। यदि कोई व्यक्ति साफ मन से बोलता है, या कर्म करता है, सुख उस व्यक्ति की कभी न छोड़ने वाली छाया के सदृश पीछा करता है।। १।। -
☸️DHAMMAPAD introduction //☸️धम्मपद प्रस्तावना 🌷🙏🙏🙏